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एक ज्योतिष से एक दिन में जो सबसे अधिक बार प्रश्न पूछा जाता है उनमे से एक है " महाराज जी हमारा विवाह कब होगा ". मनुष्य के जीवन में रिश्तो का अपना ही अलग महत्व होता है उसमे भी पत्नी या पति का रिश्ता जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है या ये कहो की सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। एक व्यक्ति अपने जीवनसाथी से वो सब बातें कर सकता है जो वो अन्य किसी से नहीं कर सकता। जीवन में प्रत्येक रिश्ता धीरे धीरे कभी न कभी साथ छोड़ देता है परन्तु यदि जीवनसाथी अच्छा है तो पति और पत्नी का ही एक ऐसा खूबसूरत सम्बन्ध है जो जीवन की अंतिम सांस तक चलता है।
इसलिए ही शायद हर व्यक्ति ये जानना चाहता है की उसे उसका जीवनसाथी कब मिलेगा ? उसकी शादी कब होगी ? उसका पति या पत्नी कैसा होगा ?
ऐसे विभिन्न प्रश्न एक ज्योतिष से प्रति दिन पूछे जाते है। तो आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से यही जानेंगे की विवाह के समय जानने की संभावित योग क्या है ? पिछले ब्लॉग में हमने पढ़ा था की विवाह होगा या नहीं ये कैसे देखे , अब हम देखेंगे की विवाह कब होगा ?
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अपने जन्म से अपना विवाह जाने |
ज्योतिष में , कुंडली में विवाह होने के अनेक योग होते है जिनमे विवाह संभव होता है जैसे विवाह के संभावित योग देखें के लिए सबसे पहले दशा , अन्तर्दशा देखी जाती है।
१. सप्तमेश , की दशा या अन्तर्दशा में विवाह संभव है।
2 . सप्तमेश जिस राशि में है उस राशि के स्वामी की दशा में विवाह संभव है।
3 . सप्तम स्थान में जो ग्रह है उस गृह की दशा या अन्तर्दशा में विवाह संभव है।
४. जो ग्रह सप्तम भाव को देख रहा है उसकी दशा या अन्तर्दशा में विवाह संभव है।
मुख्यत इन्ही योगो में विवाह संभव होता है परन्तु यदि किसी कारण वश देश , काल या समाज के अनुसार विवाह इन दशा में संभव न हो तो कुछ अन्य योगो पर नजर डालनी चाहिए।
उदाहरण के तौर पर जब सप्तमेश की दशा हो तब बालक बच्चा हो या शादी के योग्य न हो तो हम अन्य योगो पर नजर डाल सकते है ;
५. कभी कभी दूसरे भाव का स्वामी जिस राशि में है उस राशि के स्वामी की दशा में भी विवाह संभव होता है।
6 . अगर ये योग भी नजदीक न पड़ रहे हो तो नवमेश ( भाग्य का स्वामी ) भी विवाह के लिए देखा जाता है
7 . लग्नेश व सप्तमेश के स्फूट को जोड़ देने पर जो राशि आएगी , उस राशि में जब गोचर का बृहस्पति आये तो विवाह संभव होता है।
8 . चंद्र लग्नेश व अष्टमेश के स्फूट जोड़ देने पर जो राशि आये उस राशि में जब गोचर का बृहस्पति आये तो विवाह संभा होता है। ये योग लग्नेश के गोचर के लिए भी होता है।
9 . सप्तमेश जिस राशि में हो अथवा जिस नवांश में हो , इन दोनों राशि के स्वामी में जो अधिक बलि हो , उस ग्रह की दशा में जब गोचर का बृहस्पति सप्तमेश जिस राशि में है उससे त्रिकोण में गोचर करे या नवांश राशि से गोचर करे त्रिकोण में तो विवाह संभव है।
10 . कई बार शुक्र और चंद्र इनमे से जो बली है उसकी दशा में जब बृहस्पति का गोचर उपयुक्त हो तो विवाह संभव है
- लग्न , दूसरे भाव और सप्तम भाव को यदि शुभता प्राप्त हो ओर कोई अशुभता न हो तो विवाह कम उम्र में होता है।
- इसी प्रकार ये लग्नेश , द्वितीयेश , सप्तमेश को शुभता प्राप्त हो और कुछ अशुभता न हो तो भी विवाह कम उम्र में होता है।
- शुभता प्राप्त होना अर्थात शुभ ग्रह के साथ होना , शुभ ग्रह की दृष्टि होना और अशुभता प्राप्त होना अर्थात किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि होना या अशुभ ग्रह के साथ होना।
- एक योग ये भी है के यदि लग्नेश और सप्तमेश समीपवर्ती है तो भी विवाह शीघ्र संभव होता है।
- प्रथम चरण में कुंडली में विवाह के योग देखे की विवाह ये या नहीं। इसके लिए आप हमारा पिछले ब्लॉग को पढ़ सकते है।
- अगले चरण में देखे की विवाह शीघ्र होगा या विलम्भ से।
- अब दशा , अन्तर्दशा और गोचर के हिसाब से विवाह का संभावित समय देखे।